शिखरिणी(यमनसभलगा)
१. यह एक वर्णिक छंद है।
२. इसके प्रत्येक चरण में 17-17 वर्ण होते हैं।
३. इसमें 6-11 पर यति होती है।
४. इसमें क्रमशः यगण, मगण, नगण, सगण, भगण, लघु एवं गुरु होते हैं।
उदाहरण:-
"बड़ा ही प्यारा है, जगत भर में भारत मुझे।
सदा शोभा गाऊं, पर हृदय की प्यास न बुझे ॥
तुम्हारे गीतों को, मधुर सुर में गा मन भरूं।
नवा माथा मेरा, चरण रज माथे धरुं॥"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें