मंदाक्रांता( माभनातातगागा)
१. यह एक वर्णिक छंद है।
२. इसके प्रत्येक चरण में 17-17 वर्ण होते हैं।
३. इसमें 4-6-7 पर यति होती है।
४. इसमें क्रमश: मगण, भगण, नगण, दो तगण एवं दो गुरु होते हैं।
उदाहरण:-
"तारे डूबे, तम टल गया, छा गई व्योम लाली।
पंछी बोले, तमचर जगे, ज्योति फैली दिशा में ।
शाखा डोली, सकल तरु की, कंज फूले सरों में ।
धीरे-धीरे, दिनकर कढ़े, तामसी रात बीती॥"
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